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  1. दुर्गापुर इस्पात कारखाना
  2. सुविधाएं

सुविधाएं

Durgapur Steel Plant

इस्पात संयंत्र

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  • खानें

सुविधाएं

  • उत्पादन प्रक्रिया
  • कच्चे माल
  • कोक भट्टी और कोयला रसायन
  • सिन्टर संयंत्र
  • धमन भट्टियां
  • स्टील मेल्टिंग शाॅप
  • रोलिंग मिलें
  • रेलवे उत्पाद
  • इंजीनियरी कार्यशालाएं
  • अनुसंधान एवं नियंत्रण प्रयोगशालाएं
  • कम्प्यूटरीकरण
  • गुणवत्ता विश्वसनीयता

कच्चे माल

इस्पात उद्योग के लिए लौह अयस्क, कोयला और चूना-पत्थर तीन मूल कच्चे माल हैं। दुर्गापुर इस्पात कारखाना पास ही झरिया-रानीगंज कोयला क्षेत्र से कोयला प्राप्त करता है। काफी मात्रा में कम राख वाला उच्च कोटि का कोकिंग कोयला विदेशों से भी मंगवाया जाता है। अधिकतर लौह अयस्क के ढेले और चूर्ण उड़ीसा में बोलानी स्थित खानों से प्राप्त होते हैं। चूना-पत्थर बीरमित्रपुर (उड़ीसा), जैसलमेर (राजस्थान) और जुखेही तथा नन्दवाड़ा (मध्य प्रदेश) से आता है।

कच्चा माल उठाना-रखना

कच्चे माल की गुणवत्ता में एकरूपता बनाए रखने तथा उसमें सुधार के लिए जो सुविधाएं स्थापित की गई हैं, वे इस प्रकार हैं :

  • बोलानी में अयस्क के ढेले और चूर्ण दोनों की धुलाई और उन्हें साफ करने की सुविधा
  • संयंत्र के भीतर लौह अयस्क के ढेलों की जांच की सुविधा
  • कोयला उठाने-रखने के संयंत्र में आवश्यकता अनुसार कोयले की पिसाई
  • सिन्टर संयंत्र में अयस्क मिलाने की सुविधाएं
  • सीलो एवं माल मिलाने के बंकर

आधुनिकीकरण कार्यक्रम के भाग के रूप में कच्चे माल की गुणवत्ता में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए कच्चा माल उठाने-रखने के लिए एक नया भण्डार और आवश्यकता अनुसार कोयले की पिसाई की सुविधाएं स्थापित की गई हैं।

बोलानी में अयस्क के ढेले और चूर्ण की सफाई और धुलाई के लिए सुविधाएं स्थापित की गई हैं और यहां 34 लाख 40 हजार टन (गीली अवस्था में) अयस्क का प्रति वर्ष विधाययन किया जा सकता है। इस प्रकार आधुनिकीकरण के पश्चात ये सुविधाएं संयंत्र की सम्पूर्ण आवश्यकताओं को पूरी करने में समर्थ हैं।

दुर्गापुर देश में एकमात्र ऐसा इस्पात कारखाना है जहां कारखाना स्थल में कोयले की धुलाई की सुविधा उपलब्ध है।

कच्चा माल उठाने-रखने की सुविधाएं

दुर्गापुर इस्पात कारखाने में प्रति वर्ष लगभग 74 लाख टन विभिन्न कच्चे मालों की खपत होती है। इनमें 18 लाख 40 हजार टन कोयला, 29 लाख टन लौह अयस्क के ढेले और चूर्ण शामिल हैं। इन दो कच्चे माल के अतिरिक्त कारखाने में चूना-पत्थर डोलोमाइट, मैंगनीज अयस्क, बाॅक्साइट, सिलिको मैंगनीज, फेरो मैंगनीज, फैरो सिलिकन आदि की भी आवश्यकता होती है।

कोक भट्टियां एवं कोयला रसायन

बैटरियों की संख्या 5.5
प्रत्येक बैटरी में भट्टियों की संख्या 78
 

कोक भट्टी और कोयला रसायन क्षेत्र को चार मूल सैक्शनों में बांटा गया है। ये हैं: कोयले की तैयारी का संयंत्र, कोयला कार्बनीकरण संयंत्र, कोक उठाने-रखने का संयंत्र और कोयला रसायन। इस समय दुर्गापुर इस्पात कारखाना केवल 3 बैटरियां ही चला रहा है।

कोक भट्टियों मे तैयार धमन भट्टी श्रेणी का कोक धमन भट्टियों में प्रयोग होता है जबकि आवश्यता से छोटे आकार के कोक का उपयोग सिन्टर बनाने के लिए किया जाता है।

कोक बनाने की प्रक्रिया में जो ज्वलनशील तत्व पैदा होते हैं उनसे बाद में नेप्थलीन तेल, भारी क्रिओसोट तेल, हल्का तेल, कच्चा टार, आंशिक रूप से छना हुआ टार, ‘राजा’ ब्राण्ड का उवर्रक, नाइट्रेशन श्रेणी का बेन्जीन, नाइट्रेशन श्रेणी का तोएलीन, औद्योगिक श्रेणी का तोएलीन, हल्का घुलन शील नेप्था आदि उपोत्पाद तैयार किए जाते हैं।

सामान्य तौर पर कोक भट्टियों से प्राप्त गैस का उपयोग धमन भट्टी गैस और बेसिक ऑक्सीजन भट्टी गैस के साथ ईंधन के रूप में किया जाता है। इसे पाइपों के जरिए कारखाने के विभिन्न क्षेत्रों में ले जाया जाता है। पास ही सेल के मिश्र इस्पात कारखाने को भी यह ईंधन गैस दुर्गापुर से सप्लाई की जाती है।

सिन्टर संयंत्र

धमन भट्टियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भट्टियों में बड़ी मात्रा में सिन्टर डालना परम आवश्यक है। सिन्टर लौह अयस्क धूलि, केक के रूप में कोक और चूना पत्थर के मिलान से तैयार एक कच्चा माल है। धमन भट्टियों में 75 प्रतिशत सिन्टर डालना सुनिश्चित करने के लिए लगभग 20 लाख टन तप्त धातु बनाने के लिए 30 लाख टन सिन्टर की आवश्यकता का अनुमान लगाया गया था। 198 वर्ग मीटर सिन्टरिंग क्षेत्र वाली कम ईंधन खपत वाली टेक्नोलॉजी की दृष्टि से आधुनिक सिन्टरिंग मशीन आधुनिकीकरण के दौरान जोड़ी गई है। यह 17 लाख टन सिन्टर तैयार करेगी। सिन्टर की शेष आवश्यकता पुराने सिन्टर संयंत्र के नवीकरण से पूरी की जाएगी।

लौह अयस्क, चूना पत्थर, कोक, डोलोमाइट तथा फ्लू धूलि का मिश्रण कच्चा माल उठाने-रखने के संयंत्र में मिलाया जाता है और यह सिन्टर मिश्र स्वयं फ्लक्स करने की क्षमता रखता है। इसे इग्नीशन स्ट्रैण्ड में नियंत्रित परिस्थितियों में जलाया जाता है जिससे ये एक ढेले का रूप ले लेता है। इस पदार्थ को सिन्टर कहते हैं। इसे धमन भट्टियों में प्रयोग किया जाता है और इससे धमन भट्टी की उत्पादकता में वृद्धि तथा कोक दर में कमी होती है।

कच्चे माल की तैयारी और उसे उठाना-रखना

कच्चा माल उठाने-रखने वाला सयंत्र

दुर्गापुर इस्पात कारखाने में प्रति वर्ष लगभग 74 लाख टन विभिन्न कच्चे मालों की खपत होती है। इनमें 18 लाख 40 हजार टन कोयला, 29 लाख टन लौह अयस्क के ढेले और चूर्ण शामिल हैं। इन दो कच्चे माल के अतिरिक्त कारखाने में चूना-पत्थर डोलोमाइट, मैंगनीज अयस्क, बॉक्साइट, सिलिको मैंगनीज, फेरो मैंगनीज, फैरो सिलिकन आदि की भी आवश्यकता होती है।

धमन भट्टियां

धमन भट्टियां किसी भी एकीकृत इस्पात कारखाने की ‘मदर यूनिट’ कहलाती है। प्रकृति से हमें लौह अयसक जिस रूप में मिलता है वह मूलतः एक ऑक्साइड है। इसे धमन भट्टी में या तो ढेले के रूप में या फिर सिन्टर के तौर पर डाला जाता है और कोक 1200-1400 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर इसे गले हुए लोहे में बदल देता है। चूना पत्थर एक फ्लक्स के रूप में कार्य करता है तथा तरल लोहे में अशुद्धियां अपने भीतर समेट लेता है। इन्हें स्लैग के तौर पर बाहर बहा दिया जाता है। तरल तप्त धातु का अधिकतर भाग स्टील मेल्टिंग शाॅप में इस्पात में बदलने के लिए तथा बाकी भाग पिग कास्टिंग मशीनों में पिग आयरन की ढलाई के लिए भेजा जाता है। धमन भट्टी स्लैग में चूने की मात्रा काफी अधिक होती है तथा इसे सीमेन्ट बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

दुर्गापुर इस्पात कारखाने में इस समय 3 धमन भट्टियां कार्य कर रही हैं। इनमें से दो भट्टियों की क्षमता 1400 घन मीटर प्रति धमन भट्टी है। तीसरी धमन भट्टी में 1800 घन मीटर सामान डाला जा सकता है। ये धमन भट्टियां इस समय 1.3-1.4 टन/घन मीटर/दिन के उत्पादकता स्तर पर कार्य कर रही हैं। भट्टियों में ऑधुनिक कम्प्यूटरीकृत नियंत्रण प्रणालियां लगी हैं तथा इन्हें उच्च ब्लास्ट तापमान (1100 डिग्री सेंटीग्रेड) पर पूरे दबाव (0.7 किग्रा./वर्ग सेंमी.) पर चलाया जाता है। कास्ट हाउस में ट्विन लैब होल, रॉकिंग रनर आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। यहां दो स्लैग गे्रनुलेशन संयंत्र भी हैं जिनमें तरल धमन भट्टी स्लैग को छिद्रिल आकार में सीमेन्ट उद्योग में प्रयोग के लिए तैयार किया जाता है। संयंत्र में 3 पिग कास्टिंग मशीन भी हैं जिनकी कुल क्षमता 2 लाख 12 हजार टन/वर्ष है।

धमन भट्टियां

  संख्या 1 संख्या 2 संख्या 3
(आधुनिकीकरण में)
संख्या 4
क्षमता (टन/दिन 1, 250 1, 820 1, 820 2, 340
उपयोगी क्षमता (घन मी.) 1, 323 1, 400 1, 400 1, 800
स्टोव 3 3 3 3
उत्पादकता (टन/घन मी./दिन) 1.000 1.3 1.3 1.3
 

स्टील मेल्टिंग शॉप

मिक्सर - 2 × 1, 300 टन

कन्वर्टर - 3 × 110 टन (नाममात्र ताप आकार)

तरल लोहे को स्टील मेल्टिंग शॉप में पुनः परिष्कृत किया जाता है और इससे इस्पात तैयार होता है। इस्पात न केवल कठोर धातु है बल्कि इसे मोड़ा भी जा सका है।

दुर्गापुर इस्पात कारखाने में 110-130 टन क्षमता के 3 कन्वर्टर (बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस) हैं। यहां 1 वैक्यूम आर्क डिगैसिंग (वीएडी) यूनिट भी है जिसमें विशेष श्रेणी के इस्पात तैयार किए जाते हैं।

इस्पात का एक बड़ा अंश कंटीनुअस कास्टिंग संयंत्र से होकर गुजरता है। एक और प्रमुख अंश टीमिंग बे तक ले जाया जाता है जहां इसे 8 टन क्षमता वाले इस्पात पिण्ड सांचों में ऊपर से डाला जाता है। इससे इस्पात पिण्ड तैयार होते हैं। विशेष कास्टिंग बे में अत्यन्त सावधानी से फ्लूटेड पिण्डों में नियंत्रित इस्पात ढाला जाता है और विशेष श्रेणी के ब्लूम तैयार किए जाते हैं। फ्लूटेड पिण्डों में नीचे से इस्पात डाला जाता है और इसे दुर्गापुर इस्पात कारखाने के व्हील एवं एक्सल संयंत्र में पहिए बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। तरल इस्पात का एक अंश पिण्डों में नीचे से डालने के बाद एक्सलों बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

कंटीनुअस कास्टिंग संयंत्र

इस्पात कारखाने के आधुनिक कंटीनुअस कास्टिंग संयंत्र में 6-6 स्टैªण्ड वाली दो मशीने हैं। इनके संबंध में अन्य विवरण इस प्रकार है:
डिजाइन सीमाएं - 80-150 वर्ग मिमी., ढलाई व्यास-6 मी\
ढलाई समय - 85 मिनट, लम्बाई की कटाई - 6/9/12 मी.
लैडल विधाययन स्टेशनों की संख्या - 2
माउल्ड स्तर नियंत्रक - स्वचालित (रेडियाऐक्टिव सीओ-60)

बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस से इस्पात लैडल विधाययन स्टेशन तक ले जायी जाती है। यहां तापमान बराबर करने व इसमें रसायनों का तालमेल बैठाने के लिए इस्पात में नाइट्रोजन दाखिल की जाती है। इसके पश्चात तरल इस्पात से भरा लैडल टरेट तक लाया जाता है और टण्डिश तक पहुंचता है। टण्डिश तरल इस्पात को समान रूप में 6 नलियों से गुजरने में मदद देता है। ये नलियां मोल्ड के नीचे लगी होती हैं। स्वचालित मोल्ड स्तर नियंत्रक मोल्ड के स्तर का नियंत्रण करता है। तत्पश्चात प्राथमिक तथा सेकेण्डरी शीतलन प्रक्रिया से तरल इस्पात आवश्यक आकार के बिलेट का रूप ले लेता है। इन बिलेटों को एक निकालने व सीधा करने की यूनिट में अलग किया जाता है और स्टैण्ड में उपलब्ध आरे से आवश्यक लम्बाई में काट लिया जाता है। कंटीनुअस कास्टिंग प्रक्रिया बेसिक ऑक्सीजन भट्टी और कंटीनुअस कास्टिंग संयंत्र के बीच एक बेमिसाल तालमेल का परिणाम है। एक बार लैडल खाली हो जाने के बाद एक और लैडल कास्टिंग (ढलाई) स्थल तक लाई जाती है और कास्टिंग जारी रहती है।

हल्के-हल्के बिलेट कूलिंग बैड तक ले जाये जाते हैं और फिर उन्हें कायदे से बाहर भेजने के लिए एक-दूसरे पर सम्भाल कर रखा जाता है। बिलेट के हर ढेर पर उसकी ढलाई संख्या और क्वालिटी लिखी जाती है। दुर्गापुर इस्पात कारखाने की मर्चेन्ट मिल में इन बिलेट का प्रयोग टीएमटी बार तथा अन्य मर्चेन्ट राउण्ड बनाने के लिए किया जाता है। बिलेट का एक बड़ा भाग देश और विदेश के बाजारों में बेचा भी जाता है।

रोलिंग मिल

8-8 टन के इस्पात पिण्ड सोकिंग पिटों (संख्या में 20) में लगभग 7-12 से घण्टे तक लगभग 1200 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म किए जाते हैं तथा इसके पश्चात इन्हें 42” के प्राथमिक और 32” के सेकेण्डरी ब्लूमिंग मिलों में बेलन के लिए भेज दिया जाता है। इन्हें अलग-अलग आकार और रूप में बेलन के लिए विभिन्न फिनिशिंग मिलों में भेजा जाता है।

ब्लूमिंग मिल
स्थापित क्षमता - 14 लाख 70 हजार टन प्रति वर्ष
पिण्ड का वजन - 8 टन
42” मिल:
42” × 102” रिवर्सिबल ब्लूमिंग मिल
तैयार ब्लूम का आकार (न्यूनतम) - 300 मिमी. × 250 मिमी.
32” मिल:
32” × 84” रिवर्सिबल इन्टरमीडियेट मिल
तैयार ब्लूम का आकार (न्यूनतम) - 180 मिमी. × 180 मिमी.
बिलेट मिल:
स्थापित मिल क्षमता - 0.957 टन प्रति वर्ष
किस्म - कंटीनुअस माॅर्गन डिजाइन
हाॅरिजाॅन्टल स्टैण्ड - 6, वर्टिकल स्टैण्ड - 2

उत्पाद

बिलेट - 100 मिमी. वर्ग से 125 मिमी. वर्ग तक
स्लीपर बार - 352 मिमी. × 12.5 मिमी.
स्केल्प स्लैब - 140 मिमी. × 75 मिमी. से 240 मिमी. × 90 मिमी. तक
 

इस्पात पिण्ड गर्म करने के पश्चात ब्लूमिंग मिल में ऊपर बताए गए आकार में बेलन के लिए भेजे जाते हैं। तत्पश्चात इनका एक भाग बिलेट मिल में उक्त आकारों के बिलेट या स्लैब बनाने के लिए काम में लाया जाता है।

सैक्शन मिल:

मिल क्षमता - 0.2 लाख टन प्रति वर्ष
री-हीटिंग भट्टियां - 2 x 40 टन प्रति घण्टे
रफिंग मिल - 2 हाई रिवर्सिबल
इन्टरमीडियेट मिल - 2 स्टैण्ड के 3 हाई ना
 

उत्पाद

जाएस्ट - 200 मिमी. × 100 मिमी., 175 मिमी. × 85 मिमी
150 मिमी. × 75 मिमी. 116 मिमी. × 100 मिमी.
चैनल - 200 मिमी. × 75 मिमी., 175 मिमी. × 75 मिमी
150 मिमी. × 75 मिमी., 125 मिमी. × 65 मिमी
एंगल - 150 मिमी. × 150 मिमी., 130 मिमी. × 130 मिमी
110 मिमी. × 110 मिमी., 100 मिमी. × 100 मिमी.
52 किग्रा. रेल की पटरियों के लिए फिश प्लेट बार
 

मर्चेन्ट मिल:

मर्चेन्ट मिल में 16 मिमी. से 28 मिमी. तक के सादे, गोल और थर्मो मकेनिकली ट्रीटेड (टीएमटी) बार तैयार किए जाते हैं। टीएमटी बार एवं राॅड के सभी उत्पाद दुर्गापुर के ब्राण्ड प्राॅडक्ट हैं और बाजार में इनकी विशेष मांग है।

क्षमता - 2 लाख 80 हजार टन प्रति वर्ष
मिल की किस्म - कंटीनुअस माॅर्गन डिजाइन
हारिजान्टल स्टैण्ड - 13, रिपिटर- 4
 

उत्पाद

सादा राउण्ड - 12 - 32 मिमी. व्यास
टीएमटी बार - 12 - 25 मिमी. व्यास
 

स्केल्प मिल

स्केल्प मिल में 146 से 235 मिमी. के स्केल्प तैयार किए जाते हैं जिनका उपयोग मुख्य रूप से ट्यूब और पाइप बनाने वाले उद्योग करते हैं।

क्षमता - 2 लाख 50हजारटनप्रतिवर्ष
किस्म - कंटीनुअस लोवी डिजाइन
हारिजान्टल स्टैण्ड - 11
वर्टिकल स्टैण्ड - 6
 

उत्पाद

स्ट्रिप एवं स्केल्प: 75-242 मिमी. चैडे़ से 1.47-2.34 मिमी. मोटे

रेल उत्पाद

दुर्गापुर इस्पात कारखाना भारतीय रेलों को रेल के पहिए, इंजन के पहिए, डिब्बों और मालगाड़ी के डिब्बे और एक्सल उपलब्ध कराने वाला अकेला प्रमुख भारतीय सप्लायर है। कारखाने ने रेलों की मांग के अनुरूप इंजन के पहिए तैयार किए हैं। इससे पूर्व इनका आयात किया जाता था। व्हील और एक्सल संयंत्र में यात्री एव मालगाड़ी के डिब्बों के नवीनतम आईआरएस मानकों अर्थात् आर-19/93 और इंजन के पहियों के लिए आर-34/99 तथा एक्सलों के लिए आर-16/95 के अनुरूप उत्पाद तैयार किए हैं।

व्हील और एक्सल संयंत्र के पहिए बनाने वाले संयंत्र में 16” और 14” के फ्लूटेड इस्पात पिण्डों को बारीकी से काटने के लिए 6 पीएलसी नियंत्रित आरे हैं। पहियों को आकार देने और उनमें छेद करने के लिए एक पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत 63/12 एमएन तेल हाइड्राॅलिक पै्रस काम कर रही है जिसके साथ ही एक पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत वर्टिकल व्हील मिल तथा अन्य सहायक सुविधाएं हैं। सभी पहियों को रिम से शत-प्रतिशत दबाया, सजाया जाता है तथा आईआरएस मानकों के अनुरूप उनका परीक्षण किया जाता है।

ताप विधाययन प्रक्रिया से गुजरने के बाद इन पहियों को 15 सीएनसी मशीनों में ले जाया जाता है। सभी पहियों का अल्ट्रासोनिक परीक्षण किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि ये भारतीय रेलों की आवश्यकताओं के अनुरूप हैं तथा कड़े परीक्षण पर खरे उतरते हैं।

व्हील एवं एक्सल संयंत्र

तैयार पहियों का वार्षिक उत्पादन - 1 लाख
रोलिंग/फोर्जिंग में उत्पादन दर - 25 प्रति घण्टे
मशीनिंग में उत्पादन दर - 22 प्रति घण्टे
 

इंजीनियरी कार्यशालाएं

दुर्गापुर इस्पात कारखाने में कलपुर्जों की सप्लाई और मरम्मत के लिए अनेक निजी इंजीनियरी कार्यशालाएं हैं। केन्द्रीय इंजीनियरी रखरखाव में एक मशीन कार्यशाला, एक स्ट्रक्चरल कार्यशाला, फिटिंग और असेम्बली कार्यशालाएं हैं। फाउण्डरी में स्टील मेल्टिंग शाॅप के लिए इस्पात पिण्ड और बाॅटम प्लेट तैयार किए जाते हैं। यहां वैद्युत वैगन और इंजन मरम्मत जैसी सहायक मरम्मत कार्यशालाएं भी हैं।

अनुसंधान एवं नियंत्रण प्रयोगशालाएं

अनुसंधान एवं नियंत्रण प्रयोगशालाओं को उत्पादों की गुणवत्ता और नए उत्पादों के विकास का कार्य सौंपा गया है। यह आधुनिक रसायन, धातुकर्मी तथा अन्य परीक्षण करने के लिए पूर्ण रूप से सुसज्जित हैं।

कम्प्यूटरीकरण

दुर्गापुर इस्पात कारखाने में कार्मिक, वाणिज्यिक, प्रक्रिया नियंत्रण, उत्पादन और रखरखाव के लिए व्यापक स्तर पर कम्प्यूटरीकरण किया गया है। उपभोक्ताओं के ऑर्डरों का पता लगाने, सामग्री, गुणवत्ता मानकों को मॉनीटर करने तथा ऐसी सभी एजेन्सियों, जिन्हें आंकड़ों की आवश्यकता है, के लिए तुरन्त आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए उत्पादन आयोजन और नियंत्रण नेटवर्क में कम्प्यूटरों का उपयोग किया जा रहा है।

गुणवत्ता विश्वसनीयता

गुणवत्ता के क्षेत्र में सफलता के लिए दुर्गापुर ने अपनी सभी यूनिटों हेतु आईएसओ: 9000 प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कार्रवाई शुरू की है। मर्चेन्ट मिल आईएसओ: 9002 प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाली पहली यूनिट है। तत्पश्चात स्टील मेल्टिंग शॉप, बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस शॉप, कंटीनुअस कास्टिंग संयंत्र और व्हील एवं एक्सल संयंत्र को भी आईएसओ: 9002 प्रमाणपत्र मिल चुका है। हाल ही में स्केल्प मिल को यह प्रमाणपत्र मिला।

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