बोकारो इस्पात कारखाने के संगठन, कार्य तथा कर्तव्यों का विवरण
बोकारो - एक नज़र
सार्वजनिक क्षेत्र में चैथे एकीकृत कारखाने की कल्पना 1959 में की गई थी। दरअसल, बोकारो इस्पात कारखाने से संबंधित प्रस्ताव सोवियत संघ के सहयोग से 1965 में सामने आया। कारखाने की स्थापना संबंधी समझौते पर 25 जनवरी, 1965 को हस्ताक्षर किए गए। डिजाइन के अनुसार कारखाने के प्रथम चरण में उत्पादन क्षमता 17 लाख टन और दूसरे चरण में 40 लाख टन निश्चित की गई। साथ ही कारखाने के और विस्तार की व्यवस्था भी की गई थी। निर्माण कार्य 6 अपै्रल, 1968 को प्रारम्भ हुआ।
वस्तुतः बोकारो इस्पात कारखाने का निगमन 29 जनवरी, 1969 को एक लिमिटेड कम्पनी के तौर पर हुआ था। 24 जनवरी, 1973 को स्टील अथाॅरिटी आॅफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) बनने पर यह सेल के पूर्ण स्वामित्व वाली कम्पनी बन गई और अन्ततः 1 मई, 1978 को सार्वजनिक क्षेत्र लौह एवं इस्पात कम्पनियां (पुनर्गठन व विविध प्रावधान) अधिनियम, 1978 के अन्तर्गत इसका सेल में विलय हो गया।
उपस्करो, साज-सामान व तकनीकी जानकारी को देखते हुए यह कारखाना देश का पहला स्वदेशी इस्पात कारखाना कहा जाता है। 17 लाख टन पिण्ड इस्पात का प्रथम चरण 2 अक्टूबर, 1972 को पहली धमन भट्टी चालू होने के साथ शुरू हुआ और 26 फरवरी, 1978 को तीसरी धमन भट्टी चालू होने पर पूरा हुआ। 40 लाख टन क्षमता की सभी यूनिटें चालू हो चुकी हैं। इस कारखाने में सपाट उत्पाद, जैसे हाॅट रोल्ड काॅयल, हाॅट रोल्ड प्लेट, हाॅट रोल्ड शीट, कोल्ड रोल्ड काॅयल, कोल्ड रोल्ड शीट, टिन मिल ब्लैक प्लेट (टीएमबीपी) और जस्ता चढ़ी सादी व घुमावदार (जीपी/जीसी) शीट तैयार करने की क्षमता है। बोकारो ने अनेक प्रकार के आधुनिक इंजीनियरी उद्योगों के लिए, जिनमें मोटर-गाड़ी, पाइप व ट्यूब, एलपीजी सिलेण्डर, बैरल व ड्रम तैयार करने वाले उद्योग शामिल हैं, कच्चा माल उपलब्ध कराकर मजबूत आधार प्रदान किया है।
उपस्करो, साज-सामान व तकनीकी जानकारी को देखते हुए यह कारखाना देश का पहला स्वदेशी इस्पात कारखाना कहा जाता है। 17 लाख टन पिण्ड इस्पात का प्रथम चरण 2 अक्टूबर, 1972 को पहली धमन भट्टी चालू होने के साथ शुरू हुआ और 26 फरवरी, इस्पात उत्पादन की आधुनिकतम प्रवृत्तियों के अनुरूप कारखाने को ढालने के उद्देश्य से आधुनिकीकरण के प्रथम चरण को 23 जुलाई, 1993 को स्वीकृति प्रदान की गई। एसएमएस-प्प् में उपलब्ध कराई गईं सुविधाओं में कंटीनुअस कास्टिंग मशीनें तथा स्टील रिफाइनिंग यूनिट शामिल हैं। हाॅट स्ट्रिप मिल के आधुनिकीकरण के अन्तर्गत उच्च दबाव वाले डी-स्केलरों, वर्क रोल बैडिंग, हाइड्राॅलिक आॅटोमेटिक गेज कन्ट्रोल, रोल जल्दी बदलने वाली व्यवस्था, लैमिनर कूलिंग की व्यवस्था है। अपेक्षाकृत कम कुशल पुशर प्रकार की भट्टियों के स्थान पर नई वाॅकिंग बीम री-हीटिंग भट्टियां लगाई जा रही हैं। एक नया हाइड्राॅलिक बाॅयलर भी लगाया गया है तथा 2 वर्तमान बाॅयलरों का नवीकरण किया गया है। हाॅट स्ट्रिप मिल का आधुनिकीकरण पूरा होने के बाद बोकारो उच्च क्वालिटी के हाॅट रोल्ड उत्पाद तैयार कर रहा है तथा इनकी विश्व बाजार में काफी मांग है। आधुनिकीकरण के बाद कारखाने की क्षमता 45 लाख टन तरल इस्पात की हो गई है।
बस्ती :
बोकारो इस्पात नगरी दामोदर नदी के दक्षिणी किनारे के मनोहारी स्थल पर बसी है। दामोदर की एक सहायक नदी गारगा शहर के दक्षिणी व पूर्वी क्षेत्र से अठखेलियां करती है। उत्तर में पारसनाथ पहाड़ियां और दक्षिण में गारगा से जरा हटकर सातनपुर पहाड़ियां हैं। शहर में जगह-जगह छोटा नागपुर के नदी-नाले व घाटियां फैली हैं। बोकारो के अस्तित्व में आने के दो दशक के भीतर ही यह 8 लाख लोगों की क्षेत्रीय नगरी के तौर पर उभरा है। यहाँ देश भर से आए लोग रहते हैं तथा गौमोह-चन्द्रपुरा-भुरि रेल लाइन पर बसा यह एक छोटा भारत है। चार महानगरांे के लिए यहाँ से रेल सेवाएं उपलब्ध हैं। यह झारखण्ड के अन्य 3 प्रमुख नगरों, रांची, जमशेदपुर और धनबाद के त्रिकोण के बीच स्थित है तथा ये तीनों शहर सड़क व रेल मार्ग से पूरी तरह से जुड़े हैं।