दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों की ऐसी संस्थाएं, मण्डल, परिषदें, समितियां जो इसे परामर्श देने के लिए गठित की गई हों और क्या इन मण्डलों, परिषदों, समितियों तथा अन्य संस्थाओं में जनता भाग ले सकती है या इनकी बैठकों के संक्षिप्त कार्रवाई विवरण जनता को उपलब्ध हैं
क. इस्पात उद्योग के लिए राष्ट्रीय संयुक्त समिति (एनजेसीएस)
1. अक्टूबर, 1969 में लोहे और इस्पात पर औद्योगिक समिति के दूसरे अधिवेशन में लिए गए निर्णयों के अनुसार इस्पात उद्योग के लिए संयुक्त वेतन विचार-विमर्श समिति गठित की गई जिसे बाद में राष्ट्रीय संयुक्त समिति (इस्पात उद्योग के लिए एनजेसीएस) का नाम दिया गया। समिति ने 27-10-1970 में इस्पात उद्योग के कर्मियों के लिए वेतन और अनुलाभ के सम्बन्ध में एक समझौता ज्ञापन किया। यह समझौता हिन्दुस्तान लिमिटेड, टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (टिस्को) जो एक निजी क्षेत्र की कम्पनी है, इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (इस्को) और तत्कालीन एमआईएसएल जिसे अब विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील प्लांट (वीआईएसपी) के नाम से जाना जाता है, के कर्मचारियों पर लागू हुआ। समिति का गठन श्रम मंत्रालय के तत्वावधान में किया गया तथा तत्कालीन उप-मुख्य श्रम आयुक्त (आई), इस समिति के सचिव थे।
2. तत्कालीन इस्पात तथा खान मंत्री, स्वर्गीय श्री मोहन कुमारमंगलम के नेतृत्व में फरवरी, 1971 में यह निर्णय किया गया कि समिति श्रम मंत्रालय की सहायता के बिना स्वतंत्र रूप से कार्य करेगी। यह कर्मियों के प्रतिनिधियों से अंशदान सहित अपनी अलग से निधि तैयार करेगी। अक्टूबर, 1970 में पहले समझौते पर हस्ताक्षर करने के पश्चात् समिति का कार्यक्षेत्र बढ़ा दिया गया और यह संयुक्त विचार-विमर्श समिति के नाम से ही कार्य करती रही। समिति समझौते के कार्यान्वयन तथा उद्योग में सामान्य समस्याओं के निवारण के लिए भी कार्य करती रही। तब से समिति ने अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं।
3. एनजेसीएस स्वयं अपने कार्य और शर्तों को अन्तिम निर्णय देता है। समय-समय पर इसके कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया है और इस समय यह निम्न क्षेत्रों में योगदान दे रहा है:-
- (i) वेतन निर्धारण और उसके कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श।
- (ii) उत्पादन, उत्पादकता में वृद्धि के लिए किए जाने वाले उपायों के सम्बन्ध में विचार।
- (iii) गुणवत्ता, लागत में कमी तथा माल खराबी में कमी सम्बन्धी मामले।
- (iv) कल्याण सुविधाओं की समीक्षा।
- (v) वे मामले, जहां सरकार द्वारा तुरन्त ध्यान देने की आवश्यकता है, और
- (vi) इस्पात उद्योग तथा इसके कर्मचारियों से सम्बन्धित ऐसा कोई भी मामला जिसके बारे में समय-समय पर एनजेसीएस में सहमति हुई हो।